पिछले एक हफ्ते से दिल्ली की आबो-हवा खराब बनी हुई है. हर साल त्योहार के नदीक आने के पहले ही दिल्ली की जहरीली हवा लोगों की मुश्किलें बढ़ा देती है. दिल्ली के अस्पतालों में सांस संबंधी बीमारी वाले मरीजों की संख्या में बढ़त देखी गई है. डॉक्टरों के मुताबिक, 30-40 फीसदी मरीज इस समय और बढ़े हैं. इस मौसम में डॉक्टरों ने बुजुर्गों और सांस की बीमारी से परेशान मरीजों को घर से कम निकालने की सलाह दी है, साथ ही उन्हें बाहर निकलने के दौरान मास्क का इस्तेमाल करने को कहा है.
एक हफ्ते से राजधानी में दिल्ली की हवा खराब श्रेणी पर बनी हुई है. दोपहर के समय मौसम साफ दिखाई देता है, लेकिन सुबह और शाम के समय में प्रदूषण की धुंध राजधानी में देखने को मिलती है. सीपीसीबी के मुताबिक, 23 अक्टूबर को दिल्ली का एक्यूआई बेहद खराब श्रेणई में पहुंच चुका है. आज पूरी दिल्ली का अधिकतम एक्यूआई 364 दर्ज किया गया है. इस सीजन में आज का दिन सबसे प्रदूषित श्रेणी में रहा.
11 जगहों पर प्रदूषित हवा की मार
राजधानी दिल्ली के 11 इलाकों में एक्यूआई ‘बेहद खराब श्रेणी’ को पार कर लिया है. शादीपुर, द्वारका, आईटीओ, करोलबाग, आनंद विहार में 400 पार तक एक्यूाई पहुंच गया. यहां पर हवा की स्थिति बेहत खराब है. मौसम पहले से थोड़ा सर्द बना हुआ है और हवा में स्थिरता बनी हुई है. दिल्ली में पीएम 2.5, पीएम10 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का स्तर हवा में बढ़ा हुआ है, जो सांस संबंधी बीमारियों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण कारक है.
डॉक्टरों का क्या कहना है?
डॉक्टरों के मुताबिक, पीएम2.5 होने से सांस संबंधी मामले बढ़ जाते हैं, क्योंकि 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास वाले छोटे कण जब सांस लेने के दौरान शरीर में प्रवेश करते हैं तो सांस की बीमारियों के होने का खतरा ज्यादा रहता है. पराली जलाने के कारण दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है.